अरे गजब! चंडीगढ़ PGI में पहुंचा 7 फुट 7 इंच लंबा मरीज; इस दुर्लभ बीमारी से था पीडि़त, पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात

Chandigarh PGI 7 Feet 7 Inches Tall Patient Successful Operation Story
Chandigarh News: शायद आप अब तक 'द ग्रेट खली' की लंबाई की बात करते होंगे लेकिन आज जब आप ये खबर देखेंगे तो खली की लंबाई को भूल जाएंगे। दरअसल, चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में एक ऐसा शख्स इलाज कराने के लिए पहुंचा। जिसे नीचे से ऊपर तक देख डॉक्टर और अन्य कर्मी भी भौचक्के रह गए। शख्स की लंबाई 7 फुट 7 इंच थी। इतना लंबा कि सिर छत पर लग रहा था। 7 फीट 7 इंच लंबा ये शख्स अपनी असाधारण लंबाई के साथ अब तक पीजीआई के इतिहास का सबसे लंबा मरीज रहा।
इस शख्स का नाम सुनील कुमार (35 साल) है और यह जम्मू-कश्मीर पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात है। सुनील एक्रोमेगली नामक दुर्लभ बीमारी से पीडि़त था, जो पिट्यूटरी ग्रंथि के ट्यूमर के कारण अनियंत्रित हार्मोन स्राव से हुई थी। पीजीआई ने अब तक एक्रोमेगली के 100 से अधिक मामलों का सफल उपचार किया है, जिसमें एंडोस्कोपिक ट्रांसनेसल तकनीक का उपयोग किया गया है। यह न्यूनतम इनवेसिव तकनीक बिना सिर पर चीरा लगाए ट्यूमर को हटाने में सक्षम है।
इस सफल ऑपरेशन के साथ पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) ने न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल की है। इस जटिल सर्जरी को डॉ. राजेश छाबड़ा, डॉ. अपिंदरप्रीत सिंह और डॉ. शिल्पी बोस की अगुआई में न्यूरोसर्जरी टीम ने अंजाम दिया। इस टीम में डॉ. राजीव चौहान, डॉ. इकजोत और डॉ. दृष्टि पारेख की न्यूरो एनेस्थीसिया टीम के साथ-साथ ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन गुरप्रीत सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल कि 7 फीट 7 इंच के सबसे लंबे मरीज सहित 100 से अधिक जटिल पिट्यूटरी ट्यूमर मामलों का सफल उपचार पीजीआई की सटीकता और टीमवर्क को दर्शाता है।
दैनिक गतिविधियों में थी कई समस्याएं
इस मरीज को जोड़ों में दर्द, दृष्टि समस्याओं और दैनिक गतिविधियों में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। ट्रांसनेसल तकनीक से ट्यूमर हटाने के बाद, मरीज के हार्मोन स्तर सामान्य होने लगे और कुछ ही हफ्तों में उनके लक्षणों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। अतिरिक्त प्रोफेसर, एनेस्थीसिया व गहन चिकित्सा विभाग, पीजीआई के डॉ राजीव चौहान ने बताया कि यह पीजीआई में अब तक का सबसे लंबा मरीज था। उनकी असामान्य ऊंचाई और वजन ने एनेस्थीसिया के लिए कई चुनौतियां पेश की।
खासकर वायुमार्ग तक पहुंच और स्थिति निर्धारण में। हमने सर्जरी से एक दिन पहले पूर्ण रिहर्सल किया, जिसमें ऑपरेशन थिएटर की सेटिंग, टेबल और उपकरणों में बदलाव किए गए, ताकि सर्जरी के दौरान सुरक्षा और सटीकता सुनिश्चित हो। यह एक सामूहिक प्रयास था, जो पीजीआई की सबसे दुर्लभ चिकित्सा परिस्थितियों को संभालने की तैयारी को दर्शाता है।
पीजीआई के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. राजेश छाबड़ा ने इस चिकित्सा स्थिति के बारे जानकारी देते हुए कहा कि फंक्शनल पिट्यूटर एडिनोमा पिट्यूटरी ग्रंथि के गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर होते हैं, जो अतिरिक्त हार्मोन स्रावित करते हैं, जिससे शरीर का हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है। हार्मोन के आधार पर, ये विभिन्न लक्षण पैदा कर सकते हैं जिसमें हाथों और पैरों की असामान्य वृद्धि (एक्रोमेगली), वजन बढऩा और चेहरे की सूजन (कुशिंग रोग), या गैर-गर्भवती महिलाओं में स्तन स्राव और अनियमित मासिक धर्म (प्रोलैक्टिनोमा) शामिल है। शुरुआती चरणों में ये ट्यूमर अक्सर लक्षण रहित रहते हैं, लेकिन यदि समय पर निदान और उपचार न हो, तो गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।
पीजीआई जटिल न्यूरोएंडोक्राइन स्थितियों के निदान और उपचार में अग्रणी बना हुआ है। समय पर चिकित्सा या सर्जिकल हस्तक्षेप जिसमें गामा नाइफ रेडियोसर्जरी जैसे उन्नत विकल्प शामिल हैं, मरीजों को पूर्ण रिकवरी और बेहतर जीवन गुणवत्ता प्रदान कर सकते हैं। डॉ. छाबड़ा ने शुरुआती जागरूकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि असामान्य वृद्धि पैटर्न, मासिक धर्म में बदलाव, या अस्पष्ट वजन बढऩे का अनुभव करने वाले व्यक्तियों को हार्मोनल असंतुलन और पिट्यूटरी विकारों को रद्द करने के लिए चिकित्सा मूल्यांकन करवाना चाहिए।
रिपोर्ट- साजन शर्मा